Another Good one from DKV

"नहीं कहा जो कभी, खामखाँ समझती है ,
जो चाहता हूँ मैं कहना कहाँ समझती है
सब तो कहते थे ताल्लुक में इश्क के अक्सर
आखँ को आखँ , ज़बाँ को जबाँ समझती है.......Another Good one from DKV

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